"रवि जल्दी नीचे आओ, शांति को चोट लग गयी है" माँ की नीचे वाली मंजिल से चिल्लाने की आवाज़ आते ही रवि ने आव देखा न ताव, नंगे पाँव ही निचे भागता हुआ पहुंचा | शुक्र है की थोडा संभल कर आया नहीं तोह फिर माँ को रवि के लिए किसी और को आवाज़ लगानी पड़ती | नीचे बेचारी ६ साल की छोटी सी शान्ति रोए जा रही थी, उसके दाएं हाथ की दूसरी ऊँगली में से खून बह रहा था, और उसमे से चोट ठीक तरह से दिखाई नहीं दे रही थी | माँ ने उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़ रखा था और शांति से ज्यादा तोह माँ डरी हुई लग रही थी, और उनका डरना वाजिब भी था, क्योंकि वोह तोह माँ है ना | तभी माँ ने रोते हुए सुर में बताया की "इसकी ऊँगली गेट बंद करते समय बीच में आ गयी है, जल्दी कुछ कर", इसी के साथ माँ उसकी ऊँगली में फूँक मारने में लग गयी | वोह बेचारा भी क्या कर लेता, उसने पापा को आवाज़ लगा दी, बस इतने में तोह पूरा घर निचे हॉल में इक्कठा हो गया | सब का आते ही वही पुराना घिसा पिटा सवाल "हाय राम, चोट कैसे लग गयी", और फिर वही पुराने जवाब | इन सवाल जवाबों के बीच शांति तोह बेचारी कहीं खो गयी रह गया तोह सिर्फ सवाल और जवाब का एक सिलसिला | तभी चाचीजी बोली "अरे यह सब छोडो पहले इसकी कोई ऊँगली दबा कर खून तोह रोको", इतना सुनना था की चाचाजी भी जोश में आ गए और बोले "अरे नहीं, इसकी ऊँगली नल के पानी के नीचे रखो, इससे खून भी बंद हो जाएगा और घाव भी दिख जाएगा" | तभी ताई जी आवाज़ आयी "अरे यह छोटी सी चोट के लिए क्या हंगामा मचा रखा है, कोई बाहर से मिटटी ला के लगा दो सेकंड में खून रुक जाएगा" | तभी दादीजी चिल्ला कर बोली, लड़की की ऊँगली ख़राब करनी है क्या " उसकी ऊँगली पानी और dettol से साफ़ कर के पट्टी बांद दो" | इसी सब के बीच भुआ शान्ति की ऊँगली साफ़ कर उसे चुप कराके आंसूं पोछने में लग गयी | तभी बच्चा पार्टी दौड़ पड़ी दवाइयों के डब्बे को ढूँढने जो की शायद द्रविंग रूम में टीवी की नीचे वाली खाने में पड़ा था | फूफा जी भी आये हुए थे, तोह वोह बोले की मेरी जानकारी का एम्स में डॉक्टर है मैं उससे पूछता हूँ, और फिर वोह फ़ोन करके एक्सपर्ट अड़वाइस लेने में व्यस्त हो गए | हमें समझ में नहीं आ रहा था ऐसी कौनसी बड़ी चोट लग गयी जिसके लिए इतने बड़े अस्पताल में फ़ोन करना पड़ रहा है | लेकिन घर के दामाद के सामने कोई क्या बोलता, सब भुआ से पूछने लग गए, बहुत बड़े डॉक्टर साहब होंगे, वोह तोह दो सेकंड में इलाज बता देंगे | दादी बोली भी "इतनी बड़ी चोट नहीं है क्यों छोटी बात को बढा कर बच्ची को हौला बैठा रहे हो" | इससे पहले की फूफा जी अपनी कॉल ख़तम करते, तभी बाहर से बड़े भैया बगल में रह रहे डॉक्टर साहब के संग रास्ते से सबको हटाते हुए बोले "आप सब अपनी दोक्टरी की दुकाने बंद कर दे, डॉक्टर साहब आ गए हैं", और डॉक्टर साहब चोट देख कर बोले " की घबराने की कोई ज़रुरत नहीं है, मामूली सी चोट है में द्रेस्सिंग कर देता हूँ, कल तक शांति ठीक हो जाएगी". शांति पट्टी बंधते हुए बिलकुल भी नहीं रो रही थी, वोह शायद खुद के दर्द से ज्यादा उन बड़े और समझदार लोगों के दस मिनट पहले किये गए कार्यक्रम के बारे में सोचने में व्यस्त थी......
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