कल घर पर पहुँचते ही मम्मी का फरमान जारी हुआ की सब जल्दी से तैयार हो जाएँ एक घंटे में पार्टी के लिए निकलना है| मैंने पूछा किसी की शादी है क्या, तोह पता चला की किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ लड़के की शादी है| अब दूर की शादी थी तोह मैंने पूछ ही लिया, की कोई जान पहचान का भी है वहां या मैं अकेला ही वहां अब्दुल्ला दीवाना बन कर घूमूँगा| "अरे नहीं, वहां तुझे राजू भैया भी मिलेंगे, और उन के बच्चे भी होंगे वहां पर, तू उन के संग घूम लियो", मम्मी ने कहा| ये बात सुन कर कुछ जान में जान आई, चलो तैयार हो कर गाडी में सबको लेकर वहां पहुंचते हुए रस्ते भर सोचता रहा की उन बच्चो के बीच में मैं क्या करूँगा, पता नहीं वोह मेरे संग घूमना पसंद करेंगे की नहीं| वहां पहुँच कर मन में एक ख्याल आया की बच्चे ही तोह है, तोह उन्हें क्या पसंद होगा बचपना, तोह आज की रात उसी बचपने के नाम| बस फिर क्या था, सारे आंटी अंकल को मिलने और पाऊँ छूने के कार्यक्रम के बीच, मेरी आँखे तोह सिर्फ उन बच्चों को तलाशने में लगी हुई थी| तभी मुझे मिलवाया गया मेरे अगले दो या लगबघ तीन घंटे के साथियों से, जिसमे से दो नौंवी और दसवी में पढ़ती थी और उनकी एक छोटी सी बहिन तीसरी कक्षा में थी| तोह ये थे मेरे आज की शाम के साथी, मैं उन्हें पहले भी मिल चूका था क्यूंकि वोह मेरी दूर के रिश्ते में बहने ही थी तोह खास परिचय करने की जरुरत नहीं पड़ी बस एक दुसरे के हाल चाल पूछने के बाद मैंने ही बोला की आप लोगों का क्या प्लान है|
छोटी वाली को तोह गुब्बारे से खेलना था, तोह हमने पहले उसे गुब्बारा दिलवाया और वोह तोह उसी में मस्त हो गयी और रह गए हम तीन| चलो मैं तोह निश्चय कर के आया था, अपना दिमाग नहीं लगाऊंगा और जो वोह दोनों कहेंगी वही होगा चाहे लोग जो मर्जी सोचे| पहले बड़ी वाली "ईशा" बोली की चलो चौमिन खाते है, मैंने कहा चलो तभी "निशा" ने कहा नहीं चौमीन तोह हम घर पर भी खा सकते हैं, पहले हम पिज्जा खाएंगे और अचानक से वही हुआ जिसका मुझे डर था| आपने अंदाजा तोह लगा ही लिया होगा, दोनों ने पलट कर मेरी तरफ देखा और मैं ऐसा जताने की कोशिश करने लगा की जैसे मैंने कुछ सुना ही नहीं, तभी दोनों की आवाज़े एक संग मेरे कान में गूंजने लगी, "की आप बताओ क्या खाएं"| दोनों की आँखे मेरी तरफ टकटकी लगाएं मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही थी, और में एक एक कर दोनों के चेहरे की तरफ देखने की कोशिश में था की कहूं तोह कहूं क्या| मन तोह कर रहा था की पिज्जा बोल दूं लेकिन फिर मेरे मुहं से बहुत ही धीमी सी आवाज़ निकली "तुम लोग जो भी बोलो, मुझे तोह सब अच्छा लगता है"| बहुत सी मंत्रणा के बाद ये फैसला हुआ की पहले चौमिन चखने के बाद पिज्जा पर धावा बोला जाएगा, चलो जी एक छोटी सी प्लेट और उस पर हम तीनो अपने अपने कांटे लेकर उसपर टूट पड़े और फिर भी हम उसे पूरा ख़तम नहीं कर पाए, क्या करे स्वाद ही इतना शानदार था की आपका चौमिन से विश्वास उठ जाए| फिर हमारी तिगडी निकल पड़ी हॉल के बीचो बीच लगे पिज्जा स्टाल की तरफ, हम तीनो येही दुआ मन रहे थे की पिज्जा कम से कम पिज्जा जैसा निकल जाए, बस हम सोचेंगे की हमारा आना और खाना दोनों सफल हो गया| आखिरकार भगवन ने हमारी दुआ कबूल ली, और पिज्जा का काम तमाम करने के बाद हमने फैसला किया पहले एक इंस्पेक्शन सुर्वे हो जाए, ताकि सारी चीज़ों में से अपनी मन पसंद की चीज़ें चुनी जा सके| तोह घुमते घुमते हमारी नज़र पड़ी पाओ भाजी जिसका मेरे और निशा के विरोध के बावजूद, ईशा की तिर्व इच्छाओं का सम्मान करते हुए ले ली गयी| पहले टुकड़े में ही उसके लाजवाब स्वाद का अंदाजा हो गया, और फिर हम तीनों उस बेचारी छोटी सी प्लेट पर टूट पड़े, अब फोर्मलिटी का समय नहीं था, जिसके हाथ जितना बड़ा टुकड़ा लगा उसकी किस्मत| तोह वहीँ पर खाते खाते निशा ने एक और पो भाजी का आर्डर दे दिया गया, और फिर एक और करते हुए तीन चार प्लेट साफ़ हो गयी| फिर हम दोनों ने ईशा को धन्यवाद् देते हुए उससे अगले स्टाल का नाम बताने का कार्यभार सौप दिया|
इसी बीच छोटी बच्ची रोती हुई वहां आ पहुंची, उसका गुब्बर्रा टेंट की छत पर चढ़ गया था हमने लाख समझाया की बेटा वोह वापिस नहीं आ सकता आप दूसरा ले लो लेकिन वोह मानी नहीं| जैसे ही हम समझाने की कोशिश करते, उसका वोलयूम और और तेज़ हो जाता, तोह उसको शांत करने के लिए हमने सोचा की एक बार कोशिश कर के देख लेते हैं, तोह उठाए हमने स्टाल के पीछे पढ़े हुए बांस के डंडे और ऊपर कपडे पर मारना शुरू कर दिया, दो तीन बार मारने पर वोह गुब्ब्बर्रा यो निकल आया, और वोह बच्ची खुश भी हो गयी| लेकिन हमने सोचा जिस तरह लोग हमें घूर रहे थे की यहाँ बहुत तमाशा कर लिया, अब किसी और कोने में चलने में ही बेहतरी है| पेट तोह लगभग भर ही चूका था, तो अब हमें वहां आइसक्रीम का स्टाल दिख गया| ईशा को सर्दी थी तोह उसने मना कर दिया, लेकिन हम दोनों वहां पहुंचे तोह देखा की चार तरीके की आइसक्रीम, बस सोच ही रहे थे की कौन सी ले तभी मैंने कहा भैया सबको मिक्स करके दे दो| वोह तोह ऐसा खुश हुआ की उसे भी मिल गया कुछ अलग तरीके का बनाने का, और निशा ने बुट्टर स्कोत्च आर्डर कर दी| हम दोनों अपनी अपनी आइसक्रीम खा ही रहे थे, की ईशा से रहा नहीं गया, वोह भी आ गयी चम्मच ले कर हमारी आइसक्रीम टेस्ट करने और दोनों से एक एक चम्मच लेने के बाद तोह वोह मेरी भी आधि आइसक्रीम खा गयी| बस अब क्या था हमने मिक्स के तीन आर्डर और दे दिए ओर हसीं ठहाको के बीच वोह भी कब ख़तम हो गयीं पता ही नहीं चला | बस फिर क्या था, हमारी देखा देखि तोह वहां पर मिक्स लेने वालों की कतार लग गयी| लेकिन अब हम लोग कहाँ रुकने वाले थे, निशा बोली की इसे कोल्द्द्रिंक में दाल कर पीते हैं और मज़ा आयेगा, मैंने कहा क्यूँ नहीं चलो और कोल्द्द्रिक के आधे आधे ग्लास ले कर पहुचगए आइसक्रीम के स्टाल पर | और फिर दो तीन बार हमने कोल्द्द्रिंक और आइसक्रीम के अलग अलग तरीके से मिश्रण कर डाले, जिसमे हम तीनो ही बहुत मज़े उठाये|
बस इसी सब के बीच हमारे माता पिता वहां आ पहुंचे, और हमारे हांथों में वोह स्पेशल दिशेस का नाम पूछने लगे की हमने तोह कहीं नहीं देखि| तोह जैसे ही हमने इसका राज़ बताया और जो ईशा को डांट पड़ी है उसका तोह कोई जवाब ही नहीं, यहाँ उसको डांट पढ़ रही थी और हमारी हंसी ही नहीं रुक रही थी| तब मैंने और निशा ने बोल ही दिया " आंटी हम तोह मना कर रहे थे लेकिन ये हमारी सुनती ही कहाँ है, बहुत बिगड़ गयी है ये", इसके पीछे असली मकसद तोह उसकी मम्मी का ध्यान भटकना था, और हुआ भी येही वोह हंस पढ़ी और ईशा की जान बची| बस अब हम तीनों ने सोचा दूल्हा दुल्हन से भी मिल ही आते हैं, तोह पहुँच गए स्टेज पर हंगामा करने| वहां उन दोनों को थोडा छेड़ने और फोटो खिचवाने के बाद हम चल पढ़े माता पिता के पास, जो की जाने के लिए बेक़रार हो रहे थे, फिर हम तीनों ने एक दुसरे से नंबर एक्सचेंज करने के साथ एक दुसरे से टच में रहने का वादा भी किया| वापिस आते हुए मैं सोच कर मुस्कुराता रहा की इस शादी में शायद लोग जैसे आये होंगे और वैसे ही चले गए होंगे, लेकिन मैं ही शायद खुशनसीब इंसान था जो की पहले सोच रहा था की अकेला शादी में क्या करूँगा, और वहां पर सबसे ज्यादा मस्ती कर के लौट रहा था ...........................
छोटी वाली को तोह गुब्बारे से खेलना था, तोह हमने पहले उसे गुब्बारा दिलवाया और वोह तोह उसी में मस्त हो गयी और रह गए हम तीन| चलो मैं तोह निश्चय कर के आया था, अपना दिमाग नहीं लगाऊंगा और जो वोह दोनों कहेंगी वही होगा चाहे लोग जो मर्जी सोचे| पहले बड़ी वाली "ईशा" बोली की चलो चौमिन खाते है, मैंने कहा चलो तभी "निशा" ने कहा नहीं चौमीन तोह हम घर पर भी खा सकते हैं, पहले हम पिज्जा खाएंगे और अचानक से वही हुआ जिसका मुझे डर था| आपने अंदाजा तोह लगा ही लिया होगा, दोनों ने पलट कर मेरी तरफ देखा और मैं ऐसा जताने की कोशिश करने लगा की जैसे मैंने कुछ सुना ही नहीं, तभी दोनों की आवाज़े एक संग मेरे कान में गूंजने लगी, "की आप बताओ क्या खाएं"| दोनों की आँखे मेरी तरफ टकटकी लगाएं मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही थी, और में एक एक कर दोनों के चेहरे की तरफ देखने की कोशिश में था की कहूं तोह कहूं क्या| मन तोह कर रहा था की पिज्जा बोल दूं लेकिन फिर मेरे मुहं से बहुत ही धीमी सी आवाज़ निकली "तुम लोग जो भी बोलो, मुझे तोह सब अच्छा लगता है"| बहुत सी मंत्रणा के बाद ये फैसला हुआ की पहले चौमिन चखने के बाद पिज्जा पर धावा बोला जाएगा, चलो जी एक छोटी सी प्लेट और उस पर हम तीनो अपने अपने कांटे लेकर उसपर टूट पड़े और फिर भी हम उसे पूरा ख़तम नहीं कर पाए, क्या करे स्वाद ही इतना शानदार था की आपका चौमिन से विश्वास उठ जाए| फिर हमारी तिगडी निकल पड़ी हॉल के बीचो बीच लगे पिज्जा स्टाल की तरफ, हम तीनो येही दुआ मन रहे थे की पिज्जा कम से कम पिज्जा जैसा निकल जाए, बस हम सोचेंगे की हमारा आना और खाना दोनों सफल हो गया| आखिरकार भगवन ने हमारी दुआ कबूल ली, और पिज्जा का काम तमाम करने के बाद हमने फैसला किया पहले एक इंस्पेक्शन सुर्वे हो जाए, ताकि सारी चीज़ों में से अपनी मन पसंद की चीज़ें चुनी जा सके| तोह घुमते घुमते हमारी नज़र पड़ी पाओ भाजी जिसका मेरे और निशा के विरोध के बावजूद, ईशा की तिर्व इच्छाओं का सम्मान करते हुए ले ली गयी| पहले टुकड़े में ही उसके लाजवाब स्वाद का अंदाजा हो गया, और फिर हम तीनों उस बेचारी छोटी सी प्लेट पर टूट पड़े, अब फोर्मलिटी का समय नहीं था, जिसके हाथ जितना बड़ा टुकड़ा लगा उसकी किस्मत| तोह वहीँ पर खाते खाते निशा ने एक और पो भाजी का आर्डर दे दिया गया, और फिर एक और करते हुए तीन चार प्लेट साफ़ हो गयी| फिर हम दोनों ने ईशा को धन्यवाद् देते हुए उससे अगले स्टाल का नाम बताने का कार्यभार सौप दिया|
इसी बीच छोटी बच्ची रोती हुई वहां आ पहुंची, उसका गुब्बर्रा टेंट की छत पर चढ़ गया था हमने लाख समझाया की बेटा वोह वापिस नहीं आ सकता आप दूसरा ले लो लेकिन वोह मानी नहीं| जैसे ही हम समझाने की कोशिश करते, उसका वोलयूम और और तेज़ हो जाता, तोह उसको शांत करने के लिए हमने सोचा की एक बार कोशिश कर के देख लेते हैं, तोह उठाए हमने स्टाल के पीछे पढ़े हुए बांस के डंडे और ऊपर कपडे पर मारना शुरू कर दिया, दो तीन बार मारने पर वोह गुब्ब्बर्रा यो निकल आया, और वोह बच्ची खुश भी हो गयी| लेकिन हमने सोचा जिस तरह लोग हमें घूर रहे थे की यहाँ बहुत तमाशा कर लिया, अब किसी और कोने में चलने में ही बेहतरी है| पेट तोह लगभग भर ही चूका था, तो अब हमें वहां आइसक्रीम का स्टाल दिख गया| ईशा को सर्दी थी तोह उसने मना कर दिया, लेकिन हम दोनों वहां पहुंचे तोह देखा की चार तरीके की आइसक्रीम, बस सोच ही रहे थे की कौन सी ले तभी मैंने कहा भैया सबको मिक्स करके दे दो| वोह तोह ऐसा खुश हुआ की उसे भी मिल गया कुछ अलग तरीके का बनाने का, और निशा ने बुट्टर स्कोत्च आर्डर कर दी| हम दोनों अपनी अपनी आइसक्रीम खा ही रहे थे, की ईशा से रहा नहीं गया, वोह भी आ गयी चम्मच ले कर हमारी आइसक्रीम टेस्ट करने और दोनों से एक एक चम्मच लेने के बाद तोह वोह मेरी भी आधि आइसक्रीम खा गयी| बस अब क्या था हमने मिक्स के तीन आर्डर और दे दिए ओर हसीं ठहाको के बीच वोह भी कब ख़तम हो गयीं पता ही नहीं चला | बस फिर क्या था, हमारी देखा देखि तोह वहां पर मिक्स लेने वालों की कतार लग गयी| लेकिन अब हम लोग कहाँ रुकने वाले थे, निशा बोली की इसे कोल्द्द्रिंक में दाल कर पीते हैं और मज़ा आयेगा, मैंने कहा क्यूँ नहीं चलो और कोल्द्द्रिक के आधे आधे ग्लास ले कर पहुचगए आइसक्रीम के स्टाल पर | और फिर दो तीन बार हमने कोल्द्द्रिंक और आइसक्रीम के अलग अलग तरीके से मिश्रण कर डाले, जिसमे हम तीनो ही बहुत मज़े उठाये|
बस इसी सब के बीच हमारे माता पिता वहां आ पहुंचे, और हमारे हांथों में वोह स्पेशल दिशेस का नाम पूछने लगे की हमने तोह कहीं नहीं देखि| तोह जैसे ही हमने इसका राज़ बताया और जो ईशा को डांट पड़ी है उसका तोह कोई जवाब ही नहीं, यहाँ उसको डांट पढ़ रही थी और हमारी हंसी ही नहीं रुक रही थी| तब मैंने और निशा ने बोल ही दिया " आंटी हम तोह मना कर रहे थे लेकिन ये हमारी सुनती ही कहाँ है, बहुत बिगड़ गयी है ये", इसके पीछे असली मकसद तोह उसकी मम्मी का ध्यान भटकना था, और हुआ भी येही वोह हंस पढ़ी और ईशा की जान बची| बस अब हम तीनों ने सोचा दूल्हा दुल्हन से भी मिल ही आते हैं, तोह पहुँच गए स्टेज पर हंगामा करने| वहां उन दोनों को थोडा छेड़ने और फोटो खिचवाने के बाद हम चल पढ़े माता पिता के पास, जो की जाने के लिए बेक़रार हो रहे थे, फिर हम तीनों ने एक दुसरे से नंबर एक्सचेंज करने के साथ एक दुसरे से टच में रहने का वादा भी किया| वापिस आते हुए मैं सोच कर मुस्कुराता रहा की इस शादी में शायद लोग जैसे आये होंगे और वैसे ही चले गए होंगे, लेकिन मैं ही शायद खुशनसीब इंसान था जो की पहले सोच रहा था की अकेला शादी में क्या करूँगा, और वहां पर सबसे ज्यादा मस्ती कर के लौट रहा था ...........................
Gud experience ... mera bhi mann ho rha h shaadi me jakr masti krne ka...bhut din ho gaye hn kisi ki shadi me gaye....ab iska intezaam karwa doooooo...:P
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