Monday, February 6, 2012

ज़िम्मेदारी.....................

आज सोचा की पंख लगाऊँ और उडूं, 
छू कर आऊँ चाँद को और जीत लूं आसमान को।
फिर याद आया की अगर अभी निकल जाऊँगा, 
तोह बॉस ने कल ३ बजे की मीटिंग रखी है क्या तब तक लौट पाउँगा।।
तोह विचार बदला की आज पुराने दोस्तों से मिला जाये, 
पुरानी यादों को फिर से ताज़ा करा जाये।
तभी श्रीमती जी आवाज आई की घर का राशन पानी लाना है, 
और हाँ मम्मी जी का चश्मा भी बनवाना है ।।
चलो कोई न गली में बच्चो के साथ स्टापू ही खेल आता हूँ, 
अपने बचपन को दोबारा लौटा लाता हूँ।
बगल में बैठे बाबूजी बोले की बेटा बैल नई लगवानी है, 
और हाँ तुम्हे गाड़ी की सर्विस भी तोह करवानी है।।
तोह हमने श्रीमती जी आग्रह किया की रात तक सारे काम ख़त्म कर आऊंगा, 
फिर तुम्हे बाहर खाने पर लॉन्ग ड्राइव पर ले जाऊंगा।
वोह बोली की कहाँ अब रात में देर तक जग पाऊँगी, 
खुद नहीं उठूंगी तोह मुन्नी को स्कूल के लिए कैसे तैयार कराउंगी।।
सारा काम निपटा कर अब घर पर खाना खा रहा हूँ, 
अगले वीकेंड पर जरूर कुछ करूँगा खुद को मना रहा हूँ।
फिर भी दिल में ख़ुशी है और तस्सल्ली भी, 
की मैं अपनी जिम्मेदारियां ठीक से निभा रहा हूँ।।