Monday, October 31, 2011

दिवाली की शुभकामनाए.............

 नमस्कार दोस्तों, 
आप सब से इतनो दिनों से दूर रहने के लिए क्षमा चाहता हूँ, बस तोह इस दिवाली कुछ ऐसा हुआ की मैं अपने अप को रोक नहीं सका और बस आ गया आप लोगों के समक्ष अपने विचार प्रकट करने..

२६-१०-२०११ 
दिवाली की सुबह: आज मन ने कहा की इस दिवाली को किसी नए तरीके से मनाया जाए, जो आज तक नहीं किया वोह किया जाए| बहुत से विचारों ने मन की लोकतान्त्रिक संसद में अपनी अपनी बात रखना शुरू की, उनमे से एक सुझाव था की किसी को जाकर दान किया जाए, और एक सुझाव ऐसा भी था की परिवार के साथ कही देल्ही के बाहर लॉन्ग दीराइव पर जाया जाए| तोह संसद में एक लम्बी अहिंसक और शांतिपूर्ण बहस और जिद्दोजहद के बाद इस बात आम सहमति के बाद पर फैसला हुआ की इस बार मैं सब से बड़े जन संपर्क आन्दोलन के तहद अपने फ़ोन की दिरेक्तोरी से एक एक करके सबको दिवाली की शुभकामनाए दूंगा, चाहे मेरी उससे पिछले एक साल में कभी बात न हुई हो, कहना बहुत आसान था लेकिन विश्वास कीजिये करना उतना ही मुश्किल| लेकिन मेरा मानना है की  एक बार अप फैसला ले लेते है तोह उसके बाद कभी पीछे नहीं हटना चाहिए, तोह संकल्प के साथ कुछ नियमों पर भी सहमति तय हुई जो की इस प्रकार थे:
१. सबको एक एक कर के कॉल मिलायी जाएगी
२. अगर किसी का फ़ोन बिजी जाता है या स्विच ऑफ होता है तोह उसे दोबारा कॉल नहीं की जाएगी
३.  और किसी से कॉल नहीं उठाने के संधर्भ में सिर्फ एक बार दोबारा अपने नंबर से कॉल की जाएगी 
४. अगर फ़ोन कोई और उठता है तोह उसको एक बार फिर पुनः कॉल की जाएगी
अब फ़ोन उठाते ही संसद के बहुत महत्वपूर्ण मंत्रालय की अप्पत्ति प्रस्तुत हुई, सोचिये किसकी .....
जी सही सोचा आपने वित्त मंत्रालय की जिसके हिसाब से इस योजना को सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए पर्याप्त राशी उपलब्ध नहीं है| अब क्या करे? तभी याद आया की घर का सार्वजानिक मोबाइल किस दिन काम आयेगा| तोह शुरू हुआ कॉल मिलाने का सिलसिला, अब इसमें सबसे मज़ेदार बात ये थी की अब मैं एक अनजान नंबर से सबको फ़ोन करने वाला था| बस क्या कहने अब इससे ये पता लगा की मेरे दोस्त दूसरों से कितनी फोर्मल्ली और दोस्तों से कितनी कैज़ुअली बातें करते हैं| 
तोह पहले फ़ोन मिलाते ही मैंने दिवाली की शुभकामनाए दी और उसके बाद रेस्पोंसे में मुझे अधिकतर बहुत ही धीमे और मधुर स्वर में शुभ्कुम्नाए वापिस मिली, लेकिन फिर मैंने उन्को  पहचान के लिए कुछ हिंट दिया, किसी ने पहचाना, और किसी ने नहीं और जैसे ही नाम की पहचान करवाई गयी आवाज़ में एक कांफिडेंस आ गया और उसकी कुछ झलकिया निचे दी गयीं है......
१. 
दोस्त: हेल्लो
मैं: हैप्पी दिवाली
दोस्त:(धीमे स्वर में) हैप्पी दिवाली आपको भी, वैसे आप कौन?
मैं: हम वोह हैं जिनके जासूस कोने कोने में फैले हुए हैं.
दोस्त:(धीमे स्वर में) अच्छा जी.
मैं: अभी भी नहीं पहचाना.
दोस्त: नहीं.

मैं: आपका एक पुराना दोस्त था अमिटी में.
दोस्त:(हसीं के साथ) अच्छा अमर, और क्या हाल हैं........

२.   
मैं: हेल्लो, हैप्पी दिवाली.........
दोस्त:(बहुत धीमे स्वर में) हांजी, आप कौन?
मैं: पहले हैप्पी दिवाली का जवाब तोह दीजिये.
दोस्त:(धीमे स्वर में) ज़रूर, हैप्पी दिवाली आपको भी, लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं.
मैं: हम वोह हैं जो आपसे बहुत झगडा करते थे.
दोस्त: अरे अमर तुम, नंबर चैंज कर लिया क्या .........

३. 

दोस्त: हांजी कौन बोल रहा है
मैं: हैप्पी दिवाली.........
दोस्त:(धीमे से बहुत ही मीठे स्वर में) हेप्पी दिवाली आपको भी.
मैं: पहचाना की नहीं
दोस्त:(धीमे स्वर में) नहीं, कौन है आप.
मैं: हम वोह हैं जो मेट्रो में आपको परेशान करते हैं .
दोस्त: अरे अमर सर, आप .........

४. 

मैं: दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.........
दोस्त:(बहुत ही इज्जत भरे स्वर में) हेप्पी दिवाली आपको भी.
मैं: नहीं हमने हिंदी में बोला है, अप भी हिंदी में जवाब देने की कृपा करें
दोस्त:(सँभलते हुए) जी आपको भी दिवाली की बहुत बहुत (हँसते हुए) शुभकामनाए......
मैं: धन्यवाद्, क्या आपने हमें पहचाना
दोस्त: नहीं, लेकिन कुछ कुछ यद् आ रहा है.
मैं: क्या आपको पता है की आपका खाना लंच से पहले कौन खा जाता था.
दोस्त: अबे अमर, तू इतने दिनों बाद, और ये क्या था बे..................

५. 
आंटी: हेल्लो ..........
मैं: हैप्पी दिवाली आंटी,
आंटी: हैप्पी दिवाली, आप कौन
मैं: आंटी हम दो छोटे बच्चे जो आपके कुत्ते को छेड़ते रहते थे, याद आया
आंटी: नहीं तोह, ठीक से याद नहीं आ रहा है
मैं: आंटी हम आपके सामने वाले कुअर्टर में रहते थे और अपने एक बार हमें घर में बंद कर दिया था, मम्मी को दिखाने के लिए.
आंटी: अच्छा अरोरा का लड़का.....................

६.

मैं: हेल्लो,
दोस्त: कौन बोल रहा है
मैं: हम आपके दुश्मन बोल रहे हैं, हैप्पी दिवाली
दोस्त: हम दुश्मनों को विश नहीं करते
मैं: लेकिन हम तोह करते हैं, फिर से हैप्पी दिवाली
दोस्त: हैप्पी दिवाली, लेकिन याद नहीं आ रहा
मैं: हम आपके सबसे बड़े वाले दुश्मन बोल रहे हैं, यानि बहुत ही बड़े वाले दुश्मन
दोस्त:  अबे तेरी तोह, इतने सालों से कहाँ था बे..............

७.
दोस्त: हांजी बोलिए
मैं: अरे वाह इतनी इज्जत,  कभी दोस्तों से भी हांजी करके बात कर लिया कर
दोस्त: जी कौन मैंने आपको पहचाना नहीं
मैं: बेटा, रोज काम्प्लेक्स में मिलने के बाद भी नहीं पहचाना.
दोस्त: अबे अमर तू
मैं: बस फिर आ गया तू तड़क पर, चल हैप्पी दिवाली........

९.
दोस्त: हेल्लो जी
मैं: हेल्लो, कौन बोल रहा है
दोस्त:(उत्तेजित होते हुए ) जी, अपने फ़ोन मिलाया है , आप बताइए
मैं: हैप्पी दिवाली
दोस्त: हैप्पी दिवाली, लेकिन अप बोल कौन रहे हैं
मैं:येही तोह हम पूछ रहे हैं की आप कौन बोल रहे हैं,
दोस्त: अब बस बहुत मज़ाक हो गया, आप बताइए.
मैं: चलिए हम आपके ग्रुप के सबसे बड़े घुमक्कड़ बोल रहे हैं
दोस्त: अबे अमर, मैं तोह डर ही गया था और कहाँ घूम रहा है आज...........